क्या कहुं के मूझे भुल गया है बनाने वाला मेरी बात तो बिगड़ती ही चली जाती । क्या कभी मोत के तेवर नहीं ईतने देखे यह जिंदगी है के अकड़ती ही चली जाती ॥