चमत्कार
चमत्कार शब्द का हम प्रयोग करते हैं, तो साधु-संतों का खयाल आता है। अच्छा होता कि पूछा होता कि मदारियों के संबंध में आपका क्या खयाल है? दो तरह के मदारी हैं- एक, जो ठीक ढंग से मदारी हैं, 'आनेस्ट'। वे सड़क के चौराहों पर चमत्कार दिखाते हैं। दूसरे, ऐसे मदारी हैं, 'डिस्आनेस्ट', बेईमान। वे साधु-संतों का वेश सिद्ध करके, वे ही चमत्कार दिखलाते हैं, जो चौरस्तों पर दिखाये जाते हैं।
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